Movie/Album: सोलवाँ साल (1958)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: हेमंत कुमार
है अपना दिल तो आवारा
न जाने किस पे आयेगा
हसीनों ने बुलाया, गले से भी लगाया
बहुत समझाया, यही ना समझा
बहुत भोला है बेचारा
न जाने किस पे...
अजब है दीवाना, न घर ना ठिकाना
ज़मीं से बेगाना, फलक से जुदा
ये एक टूटा हुआ तारा
न जाने किस पे...
ज़माना देखा सारा, है सब का सहारा
ये दिल ही हमारा, हुआ न किसी का
सफ़र में है ये बंजारा
न जाने किस पे...
हुआ जो कभी राज़ी, तो मिला नहीं काज़ी
जहाँ पे लगी बाज़ी, वहीं पे हारा
ज़माने भर का नाकारा
न जाने किस पे...
सैड
रुकेगा न रुका है, न जाने धुन क्या है
कभी ये रस्ता है, कभी वो रस्ता
फिरे है दर-बदर मारा
न जाने किस पे....
किसी से ये मिला था, बताए कोई क्या था
बेदारी का समाँ था, कि था वो सपना
खुद अपने दर्द से हारा
न जाने किस पे...
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: हेमंत कुमार
है अपना दिल तो आवारा
न जाने किस पे आयेगा
हसीनों ने बुलाया, गले से भी लगाया
बहुत समझाया, यही ना समझा
बहुत भोला है बेचारा
न जाने किस पे...
अजब है दीवाना, न घर ना ठिकाना
ज़मीं से बेगाना, फलक से जुदा
ये एक टूटा हुआ तारा
न जाने किस पे...
ज़माना देखा सारा, है सब का सहारा
ये दिल ही हमारा, हुआ न किसी का
सफ़र में है ये बंजारा
न जाने किस पे...
हुआ जो कभी राज़ी, तो मिला नहीं काज़ी
जहाँ पे लगी बाज़ी, वहीं पे हारा
ज़माने भर का नाकारा
न जाने किस पे...
सैड
रुकेगा न रुका है, न जाने धुन क्या है
कभी ये रस्ता है, कभी वो रस्ता
फिरे है दर-बदर मारा
न जाने किस पे....
किसी से ये मिला था, बताए कोई क्या था
बेदारी का समाँ था, कि था वो सपना
खुद अपने दर्द से हारा
न जाने किस पे...
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