Movie/Album: डेढ़ इश्किया (2014)
Music By: विशाल भारद्वाज
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: राहत फ़तेह अली खान
रुक रुक के कहते हैं
झुक झुक के रहते हैं
दिल का मिज़ाज इश्किया
तन्हां है लोगों में
लोगों में तन्हाई
दिल का मिज़ाज इश्किया
चोटें भी खाये और गुनगुनाये
ऐसा ही था ये, ऐसा ही है ये
मस्ती में रहता है
मस्ताना सौदायी
दिल का मिज़ाज इश्किया...
शर्मीला शर्मीला परदे में रहता है
दर्दों के छोंके भी चुपके से सहता है
निकलता नहीं है गली से कभी
निकल जाये तो दिल भटक जाता है
अरे बच्चा है आखिर बहक जाता है
ख्वाबों में रहता है
बचपन से हरजाई
दिल का मिज़ाज इश्किया...
गुस्से में बलखाना, गैरों से जल जाना
मुश्किल में आये तो वादों से टल जाना
उलझने की इसको यूँ आदत नहीं
मगर बेवफाई शराफत नहीं
ये जज़बाती हो के छलक जाता है
इश्क में होती है
थोड़ी सी गरमाई
दिल का मिज़ाज इश्किया...
Music By: विशाल भारद्वाज
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: राहत फ़तेह अली खान
रुक रुक के कहते हैं
झुक झुक के रहते हैं
दिल का मिज़ाज इश्किया
तन्हां है लोगों में
लोगों में तन्हाई
दिल का मिज़ाज इश्किया
चोटें भी खाये और गुनगुनाये
ऐसा ही था ये, ऐसा ही है ये
मस्ती में रहता है
मस्ताना सौदायी
दिल का मिज़ाज इश्किया...
शर्मीला शर्मीला परदे में रहता है
दर्दों के छोंके भी चुपके से सहता है
निकलता नहीं है गली से कभी
निकल जाये तो दिल भटक जाता है
अरे बच्चा है आखिर बहक जाता है
ख्वाबों में रहता है
बचपन से हरजाई
दिल का मिज़ाज इश्किया...
गुस्से में बलखाना, गैरों से जल जाना
मुश्किल में आये तो वादों से टल जाना
उलझने की इसको यूँ आदत नहीं
मगर बेवफाई शराफत नहीं
ये जज़बाती हो के छलक जाता है
इश्क में होती है
थोड़ी सी गरमाई
दिल का मिज़ाज इश्किया...
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