Movie/Album: नौ दो ग्यारह (1957)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: गीता दत्त, आशा भोंसले
क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो
रेत चमके, समुन्दर नीला हो
और आकाश गीला-गीला हो
क्या हो फिर जो दिन...
आह! फिर तो बड़ा मज़ा होगा
अम्बर झुका-झुका होगा
सागर रुका-रुका होगा
तूफां छुपा-छुपा होगा
क्या हो फिर जो चंचल घाटी हो
होठों पे मचलती बातें हो
सावन हो, भरी बरसातें हो
आह! फिर तो बड़ा मज़ा होगा
कोई-कोई फिसल रहा होगा
कोई-कोई संभल रहा होगा
कोई-कोई मचल रहा होगा
क्या हो फिर जो दुनिया सोती हो
और तारों भरी खामोशी हो
हर आहट पे धड़कन होती हो
आह! फिर तो बड़ा मज़ा होगा
दिल-दिल मिला-मिला होगा
तन-मन खिला-खिला होगा
दुश्मन जला-जला होगा
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: गीता दत्त, आशा भोंसले
क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो
रेत चमके, समुन्दर नीला हो
और आकाश गीला-गीला हो
क्या हो फिर जो दिन...
आह! फिर तो बड़ा मज़ा होगा
अम्बर झुका-झुका होगा
सागर रुका-रुका होगा
तूफां छुपा-छुपा होगा
क्या हो फिर जो चंचल घाटी हो
होठों पे मचलती बातें हो
सावन हो, भरी बरसातें हो
आह! फिर तो बड़ा मज़ा होगा
कोई-कोई फिसल रहा होगा
कोई-कोई संभल रहा होगा
कोई-कोई मचल रहा होगा
क्या हो फिर जो दुनिया सोती हो
और तारों भरी खामोशी हो
हर आहट पे धड़कन होती हो
आह! फिर तो बड़ा मज़ा होगा
दिल-दिल मिला-मिला होगा
तन-मन खिला-खिला होगा
दुश्मन जला-जला होगा
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