Movie/Album: आदमी और इंसान (1969)
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: आशा भोंसले, महेंद्र कपूर
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
सिर्फ आशा
जाम पकड़, बढ़ा के हाथ, माँग दुआ, घटे न रात
जान-ए-वफ़ा, तेरी क़सम, कहते हैं दिल की बात हम
ग़र कोई मेल हो सके, आँखों का खेल हो सके
अपने को ख़ुशनसीब जान, वक़्त को मेहरबान मान
मिलते हैं दिल कभी-कभी, वरना हैं अजनबी सभी
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
हर ख़ुशी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
हुस्न है और शबाब है, ज़िन्दगी क़ामयाब है
बज़्म यूँ ही खिली रहे, अपनी नज़र मिली रहे
रंग यूँ ही जमा रहे, वक़्त यूँ ही थमा रहे
साज़ की लय पे झूम ले, ज़ुल्फ़ के ख़म को चूम ले
मेरे किये से कुछ नहीं, तेरे किये से कुछ नहीं
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
ये सभी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
आशा-महेंद्र
कोई तो बात कीजिये, यारों का साथ दीजिये
कभी गैरों के भी अपनों का गुमां होता है
कभी अपने भी नज़र आते हैं बेगाने से (वाह वाह!)
कभी ख़्वाबों में चमकते हैं मुरादों के महल
कभी महलों में उभर आते हैं वीराने से
कोई रुत भी सदा नहीं, क्या होगा भी कुछ पता नहीं
गम फिज़ुल है, गम ना कर, आज का जश्न कम ना कर
मेरे हमदम, मेरे मेहरबां
हर खुशी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
खोये से क्यूँ हो इस कदर, ढूंढती है किसे नज़र
आज मालूम हुआ, पहले ये मालूम न था
चाहतें बढ़ के, पशेमान भी हो जाती हैं (अच्छा?)
दिल के दामन से लिपटती हुई रंगीं नज़रें
देखते-देखते अन्जान भी हो जाती हैं
देखते-देखते अन्जान भी हो जाती हैं
यार जब अजनबी बने, यार जब बेरुखी बने
दिल पे सह जा, गिला न कर, सबसे हँसकर मिला नज़र
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
दोस्ती इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: आशा भोंसले, महेंद्र कपूर
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
सिर्फ आशा
जाम पकड़, बढ़ा के हाथ, माँग दुआ, घटे न रात
जान-ए-वफ़ा, तेरी क़सम, कहते हैं दिल की बात हम
ग़र कोई मेल हो सके, आँखों का खेल हो सके
अपने को ख़ुशनसीब जान, वक़्त को मेहरबान मान
मिलते हैं दिल कभी-कभी, वरना हैं अजनबी सभी
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
हर ख़ुशी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
हुस्न है और शबाब है, ज़िन्दगी क़ामयाब है
बज़्म यूँ ही खिली रहे, अपनी नज़र मिली रहे
रंग यूँ ही जमा रहे, वक़्त यूँ ही थमा रहे
साज़ की लय पे झूम ले, ज़ुल्फ़ के ख़म को चूम ले
मेरे किये से कुछ नहीं, तेरे किये से कुछ नहीं
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
ये सभी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
आशा-महेंद्र
कोई तो बात कीजिये, यारों का साथ दीजिये
कभी गैरों के भी अपनों का गुमां होता है
कभी अपने भी नज़र आते हैं बेगाने से (वाह वाह!)
कभी ख़्वाबों में चमकते हैं मुरादों के महल
कभी महलों में उभर आते हैं वीराने से
कोई रुत भी सदा नहीं, क्या होगा भी कुछ पता नहीं
गम फिज़ुल है, गम ना कर, आज का जश्न कम ना कर
मेरे हमदम, मेरे मेहरबां
हर खुशी इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
खोये से क्यूँ हो इस कदर, ढूंढती है किसे नज़र
आज मालूम हुआ, पहले ये मालूम न था
चाहतें बढ़ के, पशेमान भी हो जाती हैं (अच्छा?)
दिल के दामन से लिपटती हुई रंगीं नज़रें
देखते-देखते अन्जान भी हो जाती हैं
देखते-देखते अन्जान भी हो जाती हैं
यार जब अजनबी बने, यार जब बेरुखी बने
दिल पे सह जा, गिला न कर, सबसे हँसकर मिला नज़र
मेरे हमदम, मेरे मेहरबाँ
दोस्ती इत्तिफ़ाक़ है
कल भी इत्तिफ़ाक़ थी, आज भी इत्तिफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तिफ़ाक़ है...
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