उल्फ़त में ज़माने की - Ulfat Me Zamaane Ki (Kishore Kumar, Lata Mangeshkar, Call Girl)

Movie/Album: कॉल गर्ल (1974)
Music By: सपन-जगमोहन
Lyrics By: नक़्श लायलपुरी
Performed By: किशोर कुमार, लता मंगेशकर

किशोर कुमार
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की...

कदमों को ना रोकेगी, ज़ंजीर रिवाजों की
हम तोड़ के निकलेंगे, दीवार समाजों की
दूरी पे सही मंज़िल, दूरी से न घबराओ
उल्फ़त में ज़माने की...

मैं अपनी बहारों को, रंगीन बना लूँगा
सौ बार तुम्हें अपनी, पलकों पे उठा लूँगा
शबनम की तरह मेरे, गुलशन पे बिखर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की...

आ जाओ के जीने के, हालात बदल डालें
हम मिल के ज़माने के, दिन-रात बदल डालें
तुम मेरी वफ़ाओं की, एक बार क़सम खाओ
उल्फ़त में ज़माने की...

लता मंगेशकर
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की...

दुनिया से बहुत आगे, जिस राह पे हम होंगे
ये सोच लो पहले से, हर मोड़ पे ग़म होंगे
है ख़ौफ़ ग़मों से तो, रुक जाओ, ठहर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की...

मैं टूटी हुई कश्ती, ख़ुद पार लगा लूँगी
तूफाँ की मौजों को, पतवार बना लूँगी
मझधार का डर हो तो, साहिल पे ठहर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की...

दिल और कहीं दे कर, तुम चाह बदल डालो
बेहतर तो यही होगा, ये राह बदल डालो
दो चार क़दम चल कर, मुमकिन है बहक जाओ
उल्फ़त में ज़माने की...

No comments :

Post a Comment

यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...