Music By: शंकर-एहसान-लॉय
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: श्रेया घोषाल, क्षितिज वाघ
दिलकशों-दिलनशीं, मैं हूँ इक कली
खुशबुओं रंगों की बाहों में पली
महका-सा अंग है, बहका-सा रंग है
क्यों मैं हूँ मनचली, किसको यहाँ है पता
ये कैसा रूप है, छाँव या धूप है
ऐ नाजुक-सी कली, तू कौन है ये बता
तू महकी-महकी, तू जवाँ जवाँ
रंगों भरी होगी ये दास्ताँ
जूही खिली तू, जिनसे मिली तू
कैसे-कैसे भँवरे थे हमें बता दे
कैसे सुनाऊँ मैं ये दास्ताँ
कोई जैसे ये कहता है यहाँ
बिता हुआ कल, बीते हुए पल
धीरे-धीरे दिल से तू उन्हें भुला दे
कल ये कली ना रहे भी तो ग़म क्या
राह में फूल और कलियाँ हैं कम क्या
जाओ जहाँ देखो जहाँ
चेहरों की कलियाँ ही कलियाँ है
खिलती वहाँ देखना
हो महका सा अंग है...
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