Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
याहू... याहू
चाहे कोई मुझे जंगली कहे
कहने दो जी कहता रहे
हम प्यार के तूफानों में घिरे हैं
हम क्या करें
चाहे कोई मुझे जंगली कहे...
याहू... याहू
मेरे सीने में भी दिल है
हैं मेरे भी कुछ अरमाँ
मुझे पत्थर तो न समझो
मैं हूँ आखिर एक इनसाँ
राह मेरी वही
जिस पे दुनिया चली
चाहे कोई मुझे जंगली कहे...
याहू... याहू
सर्द आँहें कह रही हैं
है ये कैसी बला की आग
सोते-सोते ज़िन्दगानी
घबरा के उठी है जाग
मैं यहाँ से वहाँ
जैसे ये आसमाँ
चाहे कोई मुझे जंगली कहे...
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