क्यों हवा - Kyon Hawa (Yash Chopra, Sonu Nigam, Lata Mangeshkar, Veer Zaara)

Movie/Album: वीर ज़ारा (2004)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: उदित नारायण

एक दिन जब सवेरे सवेरे
सुरमई से अंधेर की चादर हटा के
एक परबत के तकिये से
सूरज ने सर जो उठाया
तो देखा
दिल की वादी में चाहत का मौसम है
और यादों की डालियों पर
अनगिनत बीते लम्हों की कलियाँ महकने लगी हैं
अनकही, अनसुनी आरज़ू
आधी सोयी हुई, आधी जागी हुई
आँखें मलते हुए देखती है
लहर दर लहर, मौज दर मौज
बहती हुई ज़िन्दगी
जैसे हर एक पल नयी है
और फिर भी वही
हाँ, वही ज़िन्दगी
जिसके दामन में एक मोहब्बत भी है, कोई हसरत भी है
पास आना भी है, दूर जाना भी है
और ये एहसास है
वक़्त झरने सा बहता हुआ, जा रहा है
ये कहता हुवा
दिल की वादी में चाहत का मौसम है
और यादों की डालियों पर
अनगिनत बीते लम्हों की कलियाँ महकने लगी हैं

क्यूँ हवा आज यूँ गा रही है 
क्यूँ फिजा, रंग छलका रही है
मेरे दिल बता आज होना है क्या
चांदनी दिन में क्यूँ छा रही है
ज़िन्दगी किस तरफ जा रही है
मेरे दिल बता क्या है ये सिलसिला
क्यूँ हवा आज यूँ...

जहाँ तक भी जाएँ निगाहें, बरसते हैं जैसे उजाले
सजी आज क्यूँ है ये राहें, खिले फूल क्यूँ हैं निराले
खुश्बूयें, कैसी ये बह रही है
धड़कनें जाने क्या कह रही है
मेरे दिल बता ये कहानी है क्या
क्यूँ हवा आज यूँ...

ये किसका है चेहरा जिससे मैं, हर एक फूल में देखता हूँ
ये किसकी है आवाज़ जिसको, न सुन के भी मैं सुन रहा हूँ
कैसी ये आहटें आ रही हैं, कैसे ये ख्वाब दिखला रही है
मेरे दिल बता कौन है आ रहा
क्यूँ हवा आज यूँ...

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