Movie/Album: हँसते ज़ख्म (1973)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मो.रफ़ी
तौबा तौबा ये जवानी का गुरूर
इश्क के सामने फिर भी सर झुकाना ही पड़ा
कैसे कहते थे न आएँगे
मगर दिल ने इस तरह पुकारा
तुम्हें आना ही पड़ा
ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सजा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
वो इक बेकरारी जो अब तक इधर थी
वो ही बेकरारी उधर किसलिए है
अभी तक तो इधर थी उधर किसलिए है
बहलना न जाने, बदलना न जाने
तमन्ना मचल के संभालना न जाने
करीब और आओ, कदम तो बढ़ाओ
झुका दूं न मैं सर तो, सर किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
नज़ारे भी देखे, इशारे भी देखे
कई खूबसूरत सहारे भी देखे
नाम क्या चीज़ है, इज्ज़त क्या है
सोने चांदी की हकीकत क्या है
लाख बहलाए कोई दौलत से
प्यार के सामने दौलत क्या है
जो मैखाने जा के, मैं सागर उठाऊं
तो फिर ये नशीली नज़र किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
तुम्हीं ने संवारा, तुम्हीं ने सजाया
मेरे सूने दिल को तुम्हीं ने बसाया
जिस चमन से भी तुम गुजार जाओ
हर कली पर निखार आ जाये
रूठो जाओ तो रूठ जाये खुदा
और जो हँस दो, बहार आ जाये
तुम्हारे कदम से है घर में उजाला
अगर तुम नहीं तो ये घर किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मो.रफ़ी
तौबा तौबा ये जवानी का गुरूर
इश्क के सामने फिर भी सर झुकाना ही पड़ा
कैसे कहते थे न आएँगे
मगर दिल ने इस तरह पुकारा
तुम्हें आना ही पड़ा
ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सजा है
मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है
वो इक बेकरारी जो अब तक इधर थी
वो ही बेकरारी उधर किसलिए है
अभी तक तो इधर थी उधर किसलिए है
बहलना न जाने, बदलना न जाने
तमन्ना मचल के संभालना न जाने
करीब और आओ, कदम तो बढ़ाओ
झुका दूं न मैं सर तो, सर किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
नज़ारे भी देखे, इशारे भी देखे
कई खूबसूरत सहारे भी देखे
नाम क्या चीज़ है, इज्ज़त क्या है
सोने चांदी की हकीकत क्या है
लाख बहलाए कोई दौलत से
प्यार के सामने दौलत क्या है
जो मैखाने जा के, मैं सागर उठाऊं
तो फिर ये नशीली नज़र किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
तुम्हीं ने संवारा, तुम्हीं ने सजाया
मेरे सूने दिल को तुम्हीं ने बसाया
जिस चमन से भी तुम गुजार जाओ
हर कली पर निखार आ जाये
रूठो जाओ तो रूठ जाये खुदा
और जो हँस दो, बहार आ जाये
तुम्हारे कदम से है घर में उजाला
अगर तुम नहीं तो ये घर किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
Awesome!!!
ReplyDeleteवाह वाह। झुका दूं न मैं सर तो, सर किसलिए है... Overwhelmed.
ReplyDeleteThank you very much Sir. I'm re-posting with some corrections...
ReplyDeleteतौबा तौबा ये जवानी का ग़ुरूर
इश्क़ के सामने फिर भी सर झुकाना ही पड़ा
कैसा कहते थे न आएँगे न आएँगे मगर
दिल ने इस तरह पुकारा तुम्हें आना ही पड़ा
ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सज़ा है
मज़ा इसमें इतना मगर किस लिए है
वो इक बेक़रारी जो अब तक इधर थी
वो ही बेक़रारी उधर किस लिए है
अभी तक तो इधर थी उधर किसलिए है
बहलना न जाने, बदलना न जाने
तमन्ना मचल के सँभलना न जाने
क़रीब और आओ क़दम तो बढ़ाओ
झुका दूँ न मैं सर तो सर किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
नज़ारे भी देखे, इशारे भी देखे
कई ख़ूबसूरत सहारे भी देखे
नाम क्या चीज़ है, इज़्ज़त क्या है
सोने चाँदी की हक़ीक़त क्या है
लाख बहलाए कोई दौलत से
प्यार के सामने दौलत क्या है
जो मयख़ाने जा के मैं साग़र उठाऊँ
तो फिर ये नशीली नज़र किस लिए है
ये माना मेरी जाँ...
तुम्हीं ने सँवारा तुम्हीं ने सजाया
मेरे सूने दिल को तुम्हीं ने बसाया
जिस चमन से भी तुम गुज़र जाओ
हर कली पर निखार आ जाये
रूठो जाओ तो रूठ जाये ख़ुदा
और जो हँस दो बहार आ जाये
तुम्हारे क़दम से है घर में उजाला
अगर तुम नहीं तो ये घर किसलिए है
ये माना मेरी जाँ...
Awesome
DeleteGood lyrics as well as good singer
ReplyDeleteये माना मेरी जां मौहब्बत सजा है
ReplyDeleteमजा इसमें इतना मगर किश्तों लिए है
मौहब्बत मैंने भी की .सजा मैंने है पाई ,
वो तो निकली वेबफा. यारी मैंने निभाई ,
प्यार का बुखार
ReplyDeleteWow what a song...
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