Lyrics By: कैसर उल जाफ़री
Performed By: गुलाम अली
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
मेरी मंज़िल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
अपनी आँखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आँसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले
कँप-कँपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ए-ख़यालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था
बेवफ़ा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
Performed By: गुलाम अली
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
मेरी मंज़िल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
अपनी आँखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आँसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले
कँप-कँपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ए-ख़यालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था
बेवफ़ा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में...
Heart touching lyrics..........
ReplyDeletemy favorit gazal
ReplyDeleteSo beautiful song
ReplyDeletenice lyrics and awesome singing from Ghulam Ali sahab
ReplyDeletethanks for hindi fonts.
Fantastic and Heart touching lyrics.
ReplyDeleteEvergreen line for all aged
ReplyDeleteMy favorite one
ReplyDeletejbrdst
ReplyDeletewhat a composition sirji......in class of its
ReplyDeleteभूलना ही था तो ये इकरार किया ही क्यूँ था
ReplyDeleteबेवफा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे
Awesome wording
ReplyDeleteA courage, An Emotion and a feeling with lot's of betrayal complaints
ReplyDeleteमेरी जान ये ग़ज़ल तुम भी पढ़ लो।शायद जो मुझपे बीती है वो तुम्हे महसूस हो जाये
ReplyDeleteOsam
ReplyDeleteNice super
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteचंडीगढ़ के गुलाम अली भाई सुरिंदर खान ने इस ग़ज़ल को बहुत सुंदर अंदाज़ में गाया है। कभी यूट्यूब पर सुनिएगा जरूर
ReplyDeleteMy favourite gajal♥️♥️
ReplyDeleteFavorite forever.....
ReplyDeleteTarif me kon sa lafz likhu..... ❤️
ReplyDeleteVery heart touching song 😭😭😭
ReplyDeleteWao fantastic gajal
ReplyDeleteIt is very soft song I like it.
ReplyDeleteNice
ReplyDelete👍👍👍
ReplyDeleteMy fevriot gajal
ReplyDeleteItni Pyari shiqayat pe ek nahin umar bhar ki mulaqat ki ijazat milni chahiye
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