Movie/Album: रजनीगंधा (1974)
Music By: सलिल चौधरी
Lyrics By: योगेश
Performed By: मुकेश
कई बार यूँ भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है
राहों में, राहों में, जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल, फूल मुस्कुरा के
कौन सा फूल चुरा के
रखूँ लूँ मन में सज़ा के
कई बार यूँ भी...
जानूँ ना, जानूँ ना, उलझन ये जानूँ ना
सुलझाऊँ कैसे कुछ समझ ना पाऊँ
किसको मीत बनाऊँ
किसकी प्रीत भुलाऊँ
कई बार यूँ भी...
Music By: सलिल चौधरी
Lyrics By: योगेश
Performed By: मुकेश
कई बार यूँ भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है
राहों में, राहों में, जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल, फूल मुस्कुरा के
कौन सा फूल चुरा के
रखूँ लूँ मन में सज़ा के
कई बार यूँ भी...
जानूँ ना, जानूँ ना, उलझन ये जानूँ ना
सुलझाऊँ कैसे कुछ समझ ना पाऊँ
किसको मीत बनाऊँ
किसकी प्रीत भुलाऊँ
कई बार यूँ भी...
This song is a great song as it shows the dilemma of a human being about his or her attraction towards two or more people simoultaneously .It is honest expression of our emotions.Its music is superb. Mukesh sang this song exellently.
ReplyDeleteexceptional what a song this song attract automatically
ReplyDeleteYes, one of the great songs on all counts, lyrics, composition, singing and picturisation by great film maker Basu Chatterjee. Big salute....
ReplyDeleteEvery body goes through and some people life long. It is attraction to beauty through eyes mind and heart, specially between Men and women. Basu Salil masters to catch the Beauty in si'lence'
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