Movie/Album: कांटे (2002)
Music By: आनंद राज आनंद
Lyrics By: देव कोहली
Performed By: संजय दत्त, शान, जुबीन गर्ग, आनंद राज आनंद, सुदेश भोसले
I
कॉलर को थोड़ा सा ऊपर चढ़ा के
सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना के
सोचना है क्या, जो होना है होगा
चल पड़े हैं फिक्रे यारा धुएं में उड़ा के
जाने क्या होगा रामा रे
जाने क्या होगा मौला रे
डॉलर भी चाहिए इन्हें पाउंड भी चाहिए
सोने के सिक्कों का साउंड भी चाहिए
बंदा ये ढीठ है ये कुछ नहीं जानता
इसको जो मांगता तो माल पानी मांगता
सोचना है क्या...
अपने बेगाने ये सब छोड़ आए
प्यार की रस्मों को ये तोड़ आए
अंजाने रास्तों के वास्ते ये
ज़िन्दगी से भी मुँह मोड़ आए
सोचना है क्या...
ख़ुद पे भरोसा है, ख़ुद पे यकीन है
कर लेंगे काम चाहें जितना संगीन है
पक्के हैं इनके जो दिल में इरादे
है आसमां इनका इनकी ज़मीन है
सोचना है क्या...
II
सोचा नहीं था तक़दीर यहाँ लाएगी
मंज़िल पे आते ही जान चली जाएगी
ओ ये तो सिकंदर ने भी नहीं था सोचा
आने से पहले ख़ुशी लौट जाएगी
हमने सोचा था क्या, और क्या से क्या हुआ
जा रहे हैं आज ये ज़माने को बता के
ये क्या हो गया रामा रे
ये क्या हो गया मौला रे
तेरा कुसूर था या मेरा कुसूर था
तेरा गुरूर था या मेरा गुरूर था
रब्बा मैं इतना बुरा नहीं होता
तू अगर बेवफ़ा नहीं होता
इतना बता मुझे, क्या मिला तुझे
गम के ये काँटे मेरी राहों में बिछा के
ये क्या हो गया...
Music By: आनंद राज आनंद
Lyrics By: देव कोहली
Performed By: संजय दत्त, शान, जुबीन गर्ग, आनंद राज आनंद, सुदेश भोसले
I
कॉलर को थोड़ा सा ऊपर चढ़ा के
सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना के
सोचना है क्या, जो होना है होगा
चल पड़े हैं फिक्रे यारा धुएं में उड़ा के
जाने क्या होगा रामा रे
जाने क्या होगा मौला रे
डॉलर भी चाहिए इन्हें पाउंड भी चाहिए
सोने के सिक्कों का साउंड भी चाहिए
बंदा ये ढीठ है ये कुछ नहीं जानता
इसको जो मांगता तो माल पानी मांगता
सोचना है क्या...
अपने बेगाने ये सब छोड़ आए
प्यार की रस्मों को ये तोड़ आए
अंजाने रास्तों के वास्ते ये
ज़िन्दगी से भी मुँह मोड़ आए
सोचना है क्या...
ख़ुद पे भरोसा है, ख़ुद पे यकीन है
कर लेंगे काम चाहें जितना संगीन है
पक्के हैं इनके जो दिल में इरादे
है आसमां इनका इनकी ज़मीन है
सोचना है क्या...
II
सोचा नहीं था तक़दीर यहाँ लाएगी
मंज़िल पे आते ही जान चली जाएगी
ओ ये तो सिकंदर ने भी नहीं था सोचा
आने से पहले ख़ुशी लौट जाएगी
हमने सोचा था क्या, और क्या से क्या हुआ
जा रहे हैं आज ये ज़माने को बता के
ये क्या हो गया रामा रे
ये क्या हो गया मौला रे
तेरा कुसूर था या मेरा कुसूर था
तेरा गुरूर था या मेरा गुरूर था
रब्बा मैं इतना बुरा नहीं होता
तू अगर बेवफ़ा नहीं होता
इतना बता मुझे, क्या मिला तुझे
गम के ये काँटे मेरी राहों में बिछा के
ये क्या हो गया...
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