Movie/Album: पाकीज़ा (1971)
Music By: गुलाम मोहम्मद
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: लता मंगेशकर
चलते चलते यूँ ही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते
वहीँ थम के रह गयी है, मेरी रात ढलते ढलते
जो कही गई ना मुझसे, वो ज़माना कह रहा है
के फ़साना बन गयी है, मेरी बात चलते चलते
यूँ ही कोई मिल...
शब-ए-इंतज़ार आखिर, कभी होगी मुख़्तसर भी
ये चिराग बुझ रहे हैं, मेरे साथ जलते जलते
यूँ ही कोई मिल...
Music By: गुलाम मोहम्मद
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: लता मंगेशकर
चलते चलते यूँ ही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते
वहीँ थम के रह गयी है, मेरी रात ढलते ढलते
जो कही गई ना मुझसे, वो ज़माना कह रहा है
के फ़साना बन गयी है, मेरी बात चलते चलते
यूँ ही कोई मिल...
शब-ए-इंतज़ार आखिर, कभी होगी मुख़्तसर भी
ये चिराग बुझ रहे हैं, मेरे साथ जलते जलते
यूँ ही कोई मिल...
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...