Movie/Album: प्रेम रतन धन पायो (2015)
Music By: हिमेश रेशमिया
Lyrics By: इरशाद क़ामिल
Performed By: हिमेश रेशमिया
सपनों का वो आँगन कहाँ
दर्पण बता बचपन कहाँ
सीधा सरल था जीवन जहाँ दर्पण बता बचपन कहाँ
सपनों का वो...
भाई से यारी, बहनों से मस्ती
उड़ती पतंगों जैसा था मन
जितने थे रिश्ते, सारे थे मन के
उनमें न उलझन, ना थी जलन
होती ना थी अनबन जहाँ
दर्पण बता...
खाने की चिंता, सोने की फिक्रें
होती भी थी तो, होती थी कम
खुशियाँ जुड़ी थी खिलौनों से अपनी
ख़बर ही ना थी क्या होता है ग़म
पावन थे सब बंधन जहाँ
दर्पण बता...
Music By: हिमेश रेशमिया
Lyrics By: इरशाद क़ामिल
Performed By: हिमेश रेशमिया
सपनों का वो आँगन कहाँ
दर्पण बता बचपन कहाँ
सीधा सरल था जीवन जहाँ दर्पण बता बचपन कहाँ
सपनों का वो...
भाई से यारी, बहनों से मस्ती
उड़ती पतंगों जैसा था मन
जितने थे रिश्ते, सारे थे मन के
उनमें न उलझन, ना थी जलन
होती ना थी अनबन जहाँ
दर्पण बता...
खाने की चिंता, सोने की फिक्रें
होती भी थी तो, होती थी कम
खुशियाँ जुड़ी थी खिलौनों से अपनी
ख़बर ही ना थी क्या होता है ग़म
पावन थे सब बंधन जहाँ
दर्पण बता...
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...