Movie/Album: काबिल (2017)
Music By: राजेश रोशन
Lyrics By: नासिर फ़राज़
Performed By: जुबिन नौटियाल, पलक मुछाल
तेरे-मेरे सपने सभी
बंद आँखों के ताले में है
चाबी कहाँ ढूंढें बता
वो चाँद के प्याले में है
फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो
कहना बस ये ही
मैं तेरे काबिल हूँ या
तेरे काबिल नहीं
ये शरारतें, ये मस्तियाँ
अपना यही अंदाज़ है
समझाएँ क्या, कैसे कहें
जीने का हाँ इसमें राज़ है
धड़कन कहाँ ये धड़कती है
दिल में तेरी आवाज़ है
अपनी सब खुशियों का अब तो ये आगाज़ है
तेरे-मेरे सपने सभी...
सागर की रेत पे दिल को जब
ये बनायेंगी मेरी उँगलियाँ
तेरे नाम को ही पुकार के
खनकेंगी मेरी चूड़ियाँ
तुझमें अदा ऐसी है आज
उड़ती हों जैसे तितलियाँ
फीकी अब ना होंगी कभी ये रंगीनियाँ
तेरे-मेरे सपने सभी...
Sad Version
तेरे साथ ही इस आग में
मेरे सपने वो सब जल गए
गुज़रे जो पल तेरे साथ में
मेरे अपने वो सब जल गए
उड़ती ये राख अब अरमानों की
मुझसे पूछे यही
मैं तेरे काबिल हूँ या
तेरे काबिल नहीं
Music By: राजेश रोशन
Lyrics By: नासिर फ़राज़
Performed By: जुबिन नौटियाल, पलक मुछाल
तेरे-मेरे सपने सभी
बंद आँखों के ताले में है
चाबी कहाँ ढूंढें बता
वो चाँद के प्याले में है
फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो
कहना बस ये ही
मैं तेरे काबिल हूँ या
तेरे काबिल नहीं
ये शरारतें, ये मस्तियाँ
अपना यही अंदाज़ है
समझाएँ क्या, कैसे कहें
जीने का हाँ इसमें राज़ है
धड़कन कहाँ ये धड़कती है
दिल में तेरी आवाज़ है
अपनी सब खुशियों का अब तो ये आगाज़ है
तेरे-मेरे सपने सभी...
सागर की रेत पे दिल को जब
ये बनायेंगी मेरी उँगलियाँ
तेरे नाम को ही पुकार के
खनकेंगी मेरी चूड़ियाँ
तुझमें अदा ऐसी है आज
उड़ती हों जैसे तितलियाँ
फीकी अब ना होंगी कभी ये रंगीनियाँ
तेरे-मेरे सपने सभी...
Sad Version
तेरे साथ ही इस आग में
मेरे सपने वो सब जल गए
गुज़रे जो पल तेरे साथ में
मेरे अपने वो सब जल गए
उड़ती ये राख अब अरमानों की
मुझसे पूछे यही
मैं तेरे काबिल हूँ या
तेरे काबिल नहीं
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...