मेरे रश्के कमर - Mere Rashke Qamar (Rahat Fateh Ali Khan, Tulsi Kumar, Baadshaho)

Movie/Album: बादशाहो (2017)
Music By: तनिष्क बागची
Lyrics By: मनोज मुन्तशिर, फ़ना बुलंद शहरी
Performed By: राहत फ़तेह अली खान

राहत फ़तेह अली खान
ऐसे लहरा के तू रूबरू आ गयी
धड़कने बेतहाशा तड़पने लगीं
तीर ऐसा लगा, दर्द ऐसा जगा
चोट दिल पे वो खायी, मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर
मेरे रश्के क़मर, तूने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

जोश ही जोश में, मेरी आगोश में
आ के तू जो समाई, मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर...

रेत ही रेत थी मेरे दिल में भरी
प्यास ही प्यास थी ज़िन्दगी ये मेरी
आज सेहराओं में इश्क के गाँव में
बारिशें घिर के आई, मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर...

ना अनजान हो गया हम फ़ना हो गए
ऐसे तू मुस्कुरायी, मज़ा आ गया
मेरे रश्क-ए-क़मर..
बर्फ सी गिर गई, काम ही कर गई
आग ऐसी लगाई, मज़ा आ गया

तुलसी कुमार
यूँ लगा कोयलें, जब लगीं कूकने
जैसे छलनी किया हमको बन्दूक ने
हूख उठने लगी हँसते-हँसते मेरी
आँख यूँ डबडबाई, मज़ा आ गया
तूने रश्के कमर, कह दिया जब मुझे
ज़िन्दगी मुस्कुराई, मज़ा आ गया
उफ़ ये दीवानगी, आशिकी ने तेरी
ख़ाक ऐसी उड़ाई, मज़ा आ गया
मेरे रश्के कमर...

ऐसे लहरा के तू रूबरू आ गया
धड़कने बेतहाशा तड़पने लगीं
तीर ऐसा लगा, दर्द ऐसा जगा
चोट दिल पे वो खायी, मज़ा आ गया
तूने रश्के क़मर
तूने रश्के क़मर, कह दिया जब मुझे
ज़िन्दगी मुस्कुराई, मज़ा आ गया
सांवली शाम में, रंग से भर गए
थाम ली जब कलाई, मज़ा आ गया
मेरे रश्के कमर...
Print Friendly and PDF

No comments :

Post a Comment

यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...