Movie/Album: जो जीता वोही सिकंदर (1992)
Music By: जतिन-ललित
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: जतिन पंडित
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
ये ना सोचा था कभी
इतने याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं...
मैं तो ना चला था दो कदम भी तुम बिन
फिर भी मेरा बचपन यही समझा हर दिन
छोड़ के मुझे भला अब कहाँ जाओगे तुम
ये ना सोचा था...
बातों कभी हाथों से भी मारा है तुम्हें
सदा यही कह के ही पुकारा है तुम्हें
क्या कर लोगे मेरा जो बिगड़ जाओगे तुम
ये ना सोचा था...
देखो मेरे आँसू, यही करते हैं पुकार
आओ चले आओ, मेरे भाई मेरे यार
पोंछने आँसू मेरे क्या नहीं आओगे तुम
ये ना सोचा था...
Music By: जतिन-ललित
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: जतिन पंडित
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
ये ना सोचा था कभी
इतने याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं...
मैं तो ना चला था दो कदम भी तुम बिन
फिर भी मेरा बचपन यही समझा हर दिन
छोड़ के मुझे भला अब कहाँ जाओगे तुम
ये ना सोचा था...
बातों कभी हाथों से भी मारा है तुम्हें
सदा यही कह के ही पुकारा है तुम्हें
क्या कर लोगे मेरा जो बिगड़ जाओगे तुम
ये ना सोचा था...
देखो मेरे आँसू, यही करते हैं पुकार
आओ चले आओ, मेरे भाई मेरे यार
पोंछने आँसू मेरे क्या नहीं आओगे तुम
ये ना सोचा था...
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