Movie/Album: बेताब (1983)
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: लता मंगेशकर, शब्बीर कुमार
बादल यूँ गरजता है
डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के, लपक के
ये बिजली हम पे गिर जाएगी
बादल यूँ गरजता है...
बाहर भी तूफान, अंदर भी तूफान
बीच में दो तूफ़ानों के ये शीशे का मकान
ऐसे दिल धड़कता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
ये दीवानी शाम, ये तूफ़ानी शाम
आग बरसती है सावन में, पानी का है नाम
बस कुछ भी हो सकता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
तौबा हुस्न-ए-यार, बदले रंग हज़ार
शर्म कभी आती है और कभी आता है प्यार
देखें कौन ठहरता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
तुम बैठो उस पार, हम बैठें इस पार
आओ अपने बीच बना लें, हम कोई दीवार
दिल फिर भी मिल सकता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: लता मंगेशकर, शब्बीर कुमार
बादल यूँ गरजता है
डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के, लपक के
ये बिजली हम पे गिर जाएगी
बादल यूँ गरजता है...
बाहर भी तूफान, अंदर भी तूफान
बीच में दो तूफ़ानों के ये शीशे का मकान
ऐसे दिल धड़कता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
ये दीवानी शाम, ये तूफ़ानी शाम
आग बरसती है सावन में, पानी का है नाम
बस कुछ भी हो सकता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
तौबा हुस्न-ए-यार, बदले रंग हज़ार
शर्म कभी आती है और कभी आता है प्यार
देखें कौन ठहरता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
तुम बैठो उस पार, हम बैठें इस पार
आओ अपने बीच बना लें, हम कोई दीवार
दिल फिर भी मिल सकता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के...
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