Movie/Album: कुली (1983)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: शब्बीर कुमार
नज़र रोज़ा-ए-मुस्तफ़ा ढूँढती है
दयारे रसूले खुदा ढूँढती है
मुबारक हो तुम सबको हज का महीना
न थी मेरी किस्मत के देखूँ मदीना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
फटा मेरे गम से समंदर का भी सीना
ना थी मेरी किस्मत...
वहाँ कोई छोटा ना कोई बड़ा है
वहाँ हर बशर एक सफ़ में खड़ा है
मोहम्मद की चौखट पे जो गिर पड़ा है
उसी का है मरना, उसी का है जीना
ना थी मेरी किस्मत...
बहुत दूर हूँ मैं तेरे आस्ताँ से
मेरी हाज़री ले ले आक़ा यहाँ से
मुझे बख्श दे ज़ब्तके इम्तिहाँ से
के मजबूर हूँ मैं ग़मे दो जहां से
चुने गुल सभी ने तेरे गुलसिताँ से
मुझे सिर्फ़ काँटे मिले क्यों फ़िज़ा से
तुझे सब पता है कहूँ क्या ज़ुबाँ से
फ़क़त एक इशारा तू कर दे वहाँ से
सितारे हैं किस्मत के ना मेहरबाँ से
जुदा कर ना देख एक बेटे को माँ से
अगर हुक्म है मौत का आसमाँ से
बदल दे मेरी जाँ, मेरी माँ की जाँ से
ओ शाहे ओ आलम, ओ शाहे मदीना
मुबारक हो तुम सबको...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: शब्बीर कुमार
नज़र रोज़ा-ए-मुस्तफ़ा ढूँढती है
दयारे रसूले खुदा ढूँढती है
मुबारक हो तुम सबको हज का महीना
न थी मेरी किस्मत के देखूँ मदीना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
फटा मेरे गम से समंदर का भी सीना
ना थी मेरी किस्मत...
वहाँ कोई छोटा ना कोई बड़ा है
वहाँ हर बशर एक सफ़ में खड़ा है
मोहम्मद की चौखट पे जो गिर पड़ा है
उसी का है मरना, उसी का है जीना
ना थी मेरी किस्मत...
बहुत दूर हूँ मैं तेरे आस्ताँ से
मेरी हाज़री ले ले आक़ा यहाँ से
मुझे बख्श दे ज़ब्तके इम्तिहाँ से
के मजबूर हूँ मैं ग़मे दो जहां से
चुने गुल सभी ने तेरे गुलसिताँ से
मुझे सिर्फ़ काँटे मिले क्यों फ़िज़ा से
तुझे सब पता है कहूँ क्या ज़ुबाँ से
फ़क़त एक इशारा तू कर दे वहाँ से
सितारे हैं किस्मत के ना मेहरबाँ से
जुदा कर ना देख एक बेटे को माँ से
अगर हुक्म है मौत का आसमाँ से
बदल दे मेरी जाँ, मेरी माँ की जाँ से
ओ शाहे ओ आलम, ओ शाहे मदीना
मुबारक हो तुम सबको...
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