सच है ये कोई - Sach Hai Ye Koi (Kishore Kumar, Agar Tum Na Hote)

Movie/Album: अगर तुम न होते (1983)
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: गुलशन बावरा
Performed By: किशोर कुमार

सच है ये कोई इल्ज़ाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
सच है ये कोई...

ये तो हर मर्द की है पहली ख़ासियत
हाँ पहली ख़ासियत, भैया पहली ख़ासियत
दूजी का है चस्का, तीजी पे है नियत
हाँ तीजी पे है नियत, तीजी पे है नियत
इसी लिए अपनी से डरता है वो
दिन-रात चापलूसी करता है वो
वरना उसे क्या कोई काम नहीं है
कौन है जो जोरू का...

जोरू की गुलामी में भी आता है मज़ा
भैया आता है मज़ा, हाँ-हाँ आता है मज़ा
पूछे कोई उनसे जिन्हें है ये पता
हाँ जिन्हें है ये पता, भई जिन्हें है ये पता
जितना भी मस्का लगाते जाएंगे
उतना वो बन्दे सुख पाते जाएँगे
मसके का यारों कोई दाम नहीं है
कौन है जो जोरू का...

अपनी तो दाल है पराई मुर्गी
हाँ पराई मुर्गी, भई पराई मुर्गी
दाना फिर डाल के फसाई मुर्गी
हाँ फसाई मुर्गी, भई फसाई मुर्गी
कुड़ कुड़ कुड़की आवाज़ जब आई
तो होने लगी घर में मियाँ की पिटाई
कहीं लंबू की पिटाई, कहीं छोटू की पिटाई
कहीं दुबले की पिटाई, कहीं मोटे की पिटाई
कहीं टकलू की पिटाई, कहीं हकलू की पिटाई
अरे ऐसे पिटना भी तो हराम नहीं है
कौन है जो जोरू का...
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