गुमसुम गुमसुम - Gumsum Gumsum (Bhupen Hazarika, Kavita Krishnamurthy, Daman)

Movie/Album: दमन (2001)
Music By: भूपेन हज़ारिका
Lyrics By: माया गोविन्द
Performed By: भूपेन हज़ारिका, कविता कृष्णामूर्ति

गुमसुम गुमसुम निशा आई
मौन की धागों से बुन-बुन कर
चादर नीली लायी
चादर के कोमल सिलवट में
साँसों की गरमाई
प्रीत जीवंत-जीवंत छाई

कामना के रंग में रंगें
आज के गहरे गर्भ में
नीरव मर्म वर्षा लेकर
सावन भादो बरसे
बादल की भीगी आँचल में
साँसों की गरमाई...

प्रेम भरे स्वर तेरे, अस्फुट इक गूँज लिए
झरते हैं झरझर प्रिये, झरते हैं झरझर
परिधी विहीन संगम को तत्पर ये अधर
काँपे हैं थरथर प्रिये, काँपे है थरथर
नियम तोड़ने का नियम
आकांक्षा का पथ है
कोमल आघात, प्रति आघात
नाटक नीली निशा का

दूर आर्तनाद की नदी
घाट का क्रंदन स्वर
कौन सुने जब पाया
आलिंगन का सागर, आलिंगन का सागर
जिसके आलिंगन में पाई
साँसों की गरमाई...

No comments :

Post a Comment

यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...