महँगाई मार गई - Mehngai Maar Gayi (Mukesh, Lata , Chanchal, Jani, Roti Kapada Aur Makaan)

Movie/Album: रोटी कपडा और मकान (1974)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: वर्मा मलिक
Performed By: मुकेश, लता मंगेशकर, नरेंद्र चंचल, जानी बाबू क़व्वाल

उसने कहा, तू कौन है
मैंने कहा, उल्फ़त तेरी
उसने कहा, तकता है क्या
मैंने कहा, सूरत तेरी
उसने कहा, चाहता है क्या
मैंने कहा, चाहत तेरी
मैंने कहा, समझा नहीं
उसने कहा क़िस्मत तेरी

एक हमें आपकी लड़ाई मार गई
दूसरी ये यार की जुदाई मार गई
तीसरी हमेशा की तन्हाई मार गई
चौथी ये ख़ुदा की ख़ुदाई मार गई
बाक़ी कुछ बचा, तो महँगाई मार गई
महँगाई मार गई
एक हमें आपकी...

तबियत ठीक थी
और दिल भी बेक़रार न था
ये तब की बात है, हाँ बात है
जब किसी से प्यार न था
जबसे प्रीत सपनों में समाई, मार गई
मन के मीत, दर्द की गहराई मार गई
नैनों से ये नैनों की सगाई मार गई
सोच-सोच में जो सोच आई, मार गई
बाक़ी कुछ बचा...

कैसे वक़्त में आ के दिल को
दिल की लगी बिमारी
महँगाई के दौर में हो गई
महॅंगी यार की यारी
दिल की लगी दिल को जब लगाई, मार गई
दिल ने की जो प्यार तो, दुहाई मार गई
दिल की बात दुनिया को बताई, मार गई
और दिल की बात दिल में जो छुपाई, मार गई
बाक़ी कुछ बचा...

पहले मुट्ठी विच पैसे लेकर
पहले मुट्ठी में पैसे लेकर, थैला भर शक्कर लाते थे
अब थैले में पैसे जाते हैं, मुट्ठी में शक्कर आती है

हाय महँगाई, महँगाई महँगाई
दुहाई है दुहाई, दुहाई है दुहाई
तू कहाँ से आई, तुझे क्यूँ मौत न आई
हाय महँगाई, महँगाई महँगाई

शक्कर में ये आटे की मिलाई मार गई
पाउडर वाले दूध दी मलाई मार गई
राशन वाले लैन की लम्बाई मार गई
जनता जो चीखी, चिल्लाई मार गई
बाक़ी कुछ बचया महँगाई मार गई

ग़रीब को तो बच्चे की पढ़ाई मार गई
बेटी की शादी और सगाई मार गई
किसी को तो रोटी की कमाई मार गई
कपडे की किसी को सिलाई मार गई
किसी को मकान की बनवाई मार गई
जीवन दे बस तीन निशान
रोटी कपड़ा और मकान
ढूंढ-ढूंढ के हर इंसान
खो बैठा है अपनी जान

जो सच सच बोला, तो सच्चाई मार गई
और बाक़ी कुछ बचा, तो महँगाई मार गई
महँगाई मार गई
Print Friendly and PDF

1 comment :

  1. यह गीत उस वर्ष बिनाका गीत माला में टौप पर था

    ReplyDelete

यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...