Movie/Album: हिप हिप हुर्रे (1984)
Music By: वनराज भाटिया
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: भूपिंदर सिंह, आशा भोंसले
जब कभी मुड़ के देखता हूँ मैं
तुम भी कुछ अजनबी सी लगती हो
मै भी कुछ अजनबी सा लगता हूँ
जब कभी मुड़ के...
साथ ही साथ चलते चलते कहीं
हाथ छूटे मगर पता ही नहीं
आँसुओं से भरी सी आँखों में
डूबी डूबी हुई सी लगती हो
तुम बहुत अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुड़ के...
हम जहाँ थे, वहाँ पे अब तो नहीं
पास रहने का भी सबब तो नहीं
कोइ नाराज़गी नहीं है मगर
फिर भी रूठी हुई सी लगती हो
तुम भी अब अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुड़ के...
रात उदास नज़्म लगती है
ज़िन्दगी से रस्म लगती है
एक बीते हुए से रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो
जब कभी मुड़ के...
Music By: वनराज भाटिया
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: भूपिंदर सिंह, आशा भोंसले
जब कभी मुड़ के देखता हूँ मैं
तुम भी कुछ अजनबी सी लगती हो
मै भी कुछ अजनबी सा लगता हूँ
जब कभी मुड़ के...
साथ ही साथ चलते चलते कहीं
हाथ छूटे मगर पता ही नहीं
आँसुओं से भरी सी आँखों में
डूबी डूबी हुई सी लगती हो
तुम बहुत अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुड़ के...
हम जहाँ थे, वहाँ पे अब तो नहीं
पास रहने का भी सबब तो नहीं
कोइ नाराज़गी नहीं है मगर
फिर भी रूठी हुई सी लगती हो
तुम भी अब अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुड़ के...
रात उदास नज़्म लगती है
ज़िन्दगी से रस्म लगती है
एक बीते हुए से रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो
जब कभी मुड़ के...
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