Movie/Album: मंज़िल मंज़िल (1984)
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: शैलेंद्र सिंह
झलक दिखा के कर गई दीवाना
मगर थी कौन, यही नहीं जाना
झलक दिखा के...
शोला था बिजली थी
या कोई टूटा तारा थी वो
जो भी थी मेरे ही
प्यार का नज़ारा थी वो
यहीं थी वो तस्वीरें जाना ना
मगर थी कौन, यही नहीं जाना
झलक दिखा के...
कुछ भी हो मेरे दिल
फिर भी उसको पाना तो है
गुलशन से सेहरा से
ढूँढकर उसे लाना तो है
वो ही नहीं तो दुनिया वीराना
मगर थी कौन, यही नहीं जाना
झलक दिखा के...
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: शैलेंद्र सिंह
झलक दिखा के कर गई दीवाना
मगर थी कौन, यही नहीं जाना
झलक दिखा के...
शोला था बिजली थी
या कोई टूटा तारा थी वो
जो भी थी मेरे ही
प्यार का नज़ारा थी वो
यहीं थी वो तस्वीरें जाना ना
मगर थी कौन, यही नहीं जाना
झलक दिखा के...
कुछ भी हो मेरे दिल
फिर भी उसको पाना तो है
गुलशन से सेहरा से
ढूँढकर उसे लाना तो है
वो ही नहीं तो दुनिया वीराना
मगर थी कौन, यही नहीं जाना
झलक दिखा के...
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