Movie/Album: बाज़ार (2018)
Music By: कनिका कपूर
Lyrics By: शब्बीर अहमद
Performed By: अरिजीत सिंह, कनिका कपूर
अरिजीत सिंह
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
तोड़ दिया वो आईना
जिस आईने में तेरा अक्स दिखे
मैं शहर में तेरे, था गैरों सा
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से, मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चला
रुख़ ना किया उन गलियों का
जिन गलियों में तेरी बातें हो
छोड़ दिया वो रास्ता...
मैं था मुसाफ़िर, राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं भी कभी था, मेहबर तेरा
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरा
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरा
छूता नहीं उन फूलों को
जिन फूलों में तेरी खुशबू हो
रूठ गया उन ख़्वाबों से
जिन ख़्वाबों में तेरा ख़्वाब भी हो
कुछ भी न पाया मैंने सफर में
हो के सफर का मैं रह गया
कागज़ का बोशीदा घर था
भीगते बारिश में बह गया
भीगते बारिश में बह गया
देखूँ नहीं उस चाँदनी को
जिसमें के तेरी परछाई हो
दूर हूँ मैं इन हवाओं से
ये हवा तुझे छू के भी आयी न हो
कनिका कपूर
जो तेरे बिन खाली था
वो तो मेरा ही दिल था
मैं थी मुसाफ़िर, राह की तेरी
तुझ बिन मेरा था दायरा
मैं भी कभी थी, मेहबर तेरी
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरी
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरी
छूती नहीं उन फूलों को
जिन फूलों में तेरी खुश्बू न हो
रूठ गयी उन ख़्वाबों से
जिन ख़्वाबों में तेरा ख़्वाब भी हो
मैं शहर में तेरी, था गैरों सी
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से, मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चली
छोड़ दिया वो रास्ता...
Music By: कनिका कपूर
Lyrics By: शब्बीर अहमद
Performed By: अरिजीत सिंह, कनिका कपूर
अरिजीत सिंह
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
तोड़ दिया वो आईना
जिस आईने में तेरा अक्स दिखे
मैं शहर में तेरे, था गैरों सा
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से, मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चला
रुख़ ना किया उन गलियों का
जिन गलियों में तेरी बातें हो
छोड़ दिया वो रास्ता...
मैं था मुसाफ़िर, राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं भी कभी था, मेहबर तेरा
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरा
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरा
छूता नहीं उन फूलों को
जिन फूलों में तेरी खुशबू हो
रूठ गया उन ख़्वाबों से
जिन ख़्वाबों में तेरा ख़्वाब भी हो
कुछ भी न पाया मैंने सफर में
हो के सफर का मैं रह गया
कागज़ का बोशीदा घर था
भीगते बारिश में बह गया
भीगते बारिश में बह गया
देखूँ नहीं उस चाँदनी को
जिसमें के तेरी परछाई हो
दूर हूँ मैं इन हवाओं से
ये हवा तुझे छू के भी आयी न हो
कनिका कपूर
जो तेरे बिन खाली था
वो तो मेरा ही दिल था
मैं थी मुसाफ़िर, राह की तेरी
तुझ बिन मेरा था दायरा
मैं भी कभी थी, मेहबर तेरी
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरी
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरी
छूती नहीं उन फूलों को
जिन फूलों में तेरी खुश्बू न हो
रूठ गयी उन ख़्वाबों से
जिन ख़्वाबों में तेरा ख़्वाब भी हो
मैं शहर में तेरी, था गैरों सी
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से, मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चली
छोड़ दिया वो रास्ता...
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