Movie/Album: ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान (2018)
Music By: अजय-अतुल
Lyrics By: अमिताभ भट्टाचार्य
Performed By: श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, सुखविंदर सिंह
बाबा लौटा दे मोहे गुड़िया मोरी
अंगना का झूलना भी
इमली की डार वाली मुनिया मोरी
चाँदी का पैंजना भी
इक हाथ में चिंगारियाँ
इक हाथ में साज़ है
हँसने की है आदत हमें
हर ग़म पे भी नाज़ है
आज अपने तमाशे पे महफ़िल को
करके रहेंगे फ़िदा
जब तलक ना करें जिस्म से जान
होगी नहीं ये जुदा
मंज़ूर-ए-ख़ुदा, मंज़ूर-ए-ख़ुदा
अंजाम होगा हमारा जो है
मंज़ूर-ए-ख़ुदा
मंज़ूर-ए-ख़ुदा (मंज़ूर-ए-ख़ुदा)
मंज़ूर-ए-ख़ुदा (मंज़ूर-ए-ख़ुदा)
टूटे सितारों से रोशन हुआ है
नूर-ए-ख़ुदा
हो, चार दिन की गुलामी
जिस्म की है सलामी
रूह तो मुद्दतों से आज़ाद है
हो, हम नहीं हैं यहाँ के
रहने वाले जहाँ के
वो शहर आसमाँ में आबाद है
हो खिलते ही उजड़ना है
मिलते ही बिछड़ना है
अपनी तो कहानी है ये
कागज़ के शिकारे में
दरिया से गुज़रना है
ऐसी ज़िंदगानी है ये
ज़िंदगानी का हम पे जो है कर्ज़
कर के रहेंगे अदा
जब तलक ना करें जिस्म से जान
होगी नहीं ये जुदा
मंज़ूर-ए-ख़ुदा...
बाबा लौटा दे मोहे...
Music By: अजय-अतुल
Lyrics By: अमिताभ भट्टाचार्य
Performed By: श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, सुखविंदर सिंह
बाबा लौटा दे मोहे गुड़िया मोरी
अंगना का झूलना भी
इमली की डार वाली मुनिया मोरी
चाँदी का पैंजना भी
इक हाथ में चिंगारियाँ
इक हाथ में साज़ है
हँसने की है आदत हमें
हर ग़म पे भी नाज़ है
आज अपने तमाशे पे महफ़िल को
करके रहेंगे फ़िदा
जब तलक ना करें जिस्म से जान
होगी नहीं ये जुदा
मंज़ूर-ए-ख़ुदा, मंज़ूर-ए-ख़ुदा
अंजाम होगा हमारा जो है
मंज़ूर-ए-ख़ुदा
मंज़ूर-ए-ख़ुदा (मंज़ूर-ए-ख़ुदा)
मंज़ूर-ए-ख़ुदा (मंज़ूर-ए-ख़ुदा)
टूटे सितारों से रोशन हुआ है
नूर-ए-ख़ुदा
हो, चार दिन की गुलामी
जिस्म की है सलामी
रूह तो मुद्दतों से आज़ाद है
हो, हम नहीं हैं यहाँ के
रहने वाले जहाँ के
वो शहर आसमाँ में आबाद है
हो खिलते ही उजड़ना है
मिलते ही बिछड़ना है
अपनी तो कहानी है ये
कागज़ के शिकारे में
दरिया से गुज़रना है
ऐसी ज़िंदगानी है ये
ज़िंदगानी का हम पे जो है कर्ज़
कर के रहेंगे अदा
जब तलक ना करें जिस्म से जान
होगी नहीं ये जुदा
मंज़ूर-ए-ख़ुदा...
बाबा लौटा दे मोहे...
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