Movie/Album: धरम करम (1975)
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: किशोर कुमार, लता मंगेशकर
तू कहाँ गई थी, तेरा मर जाए साँवरिया
चिड़िया जैसी उड़ती-फिरती क्या मस्तानी गुड़िया
तू कहाँ गई थी...
तू कहाँ गया था, तेरी मर जाए साजनिया
उल्टा चोर कुतवाल को डाँटे, हो गई कैसी दुनिया
तू कहाँ गया था...
कहाँ मैं गया था
मैं तो गया था करने सैर चमन में
खड़ी थी वहाँ पे हाय एक हसीना, मस्ती भर के बदन में
मैं भी ज़रा फिर उसके गले से, लिपटा पागलपन में
आगे इसके कुछ भी नहीं, तू पड़ गई किस उलझन में
तो बाकी रहा क्या, यही सोचूँ मैं बावरिया
तू कहाँ गई थी...
कहाँ मैं गई थी
मैं तो गई थी करने सैर गली में
एक रंगीला मिल गया ऐसा, उसकी ओर चली मैं
पकड़ी जो उसने मेरी कलाई, क्या कहूँ कैसे खिली मैं
आगे इसके कुछ भी नहीं, तू पड़ गया किस उलझन में
तो बाक़ी रहा क्या, हो बोलो मेरी गुल-बदनिया
तू कहाँ गया था...
तेरी क़सम है, मैं तो गया था, प्यारी बातें करने
और क़सम है, मैं भी गई थी, तेरे ही पीछे मरने
आगे-पीछे कुछ भी नहीं, हम पड़ गए किस उलझन में
हम कहाँ गए थे
जाने है सारी नगरिया...
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: किशोर कुमार, लता मंगेशकर
तू कहाँ गई थी, तेरा मर जाए साँवरिया
चिड़िया जैसी उड़ती-फिरती क्या मस्तानी गुड़िया
तू कहाँ गई थी...
तू कहाँ गया था, तेरी मर जाए साजनिया
उल्टा चोर कुतवाल को डाँटे, हो गई कैसी दुनिया
तू कहाँ गया था...
कहाँ मैं गया था
मैं तो गया था करने सैर चमन में
खड़ी थी वहाँ पे हाय एक हसीना, मस्ती भर के बदन में
मैं भी ज़रा फिर उसके गले से, लिपटा पागलपन में
आगे इसके कुछ भी नहीं, तू पड़ गई किस उलझन में
तो बाकी रहा क्या, यही सोचूँ मैं बावरिया
तू कहाँ गई थी...
कहाँ मैं गई थी
मैं तो गई थी करने सैर गली में
एक रंगीला मिल गया ऐसा, उसकी ओर चली मैं
पकड़ी जो उसने मेरी कलाई, क्या कहूँ कैसे खिली मैं
आगे इसके कुछ भी नहीं, तू पड़ गया किस उलझन में
तो बाक़ी रहा क्या, हो बोलो मेरी गुल-बदनिया
तू कहाँ गया था...
तेरी क़सम है, मैं तो गया था, प्यारी बातें करने
और क़सम है, मैं भी गई थी, तेरे ही पीछे मरने
आगे-पीछे कुछ भी नहीं, हम पड़ गए किस उलझन में
हम कहाँ गए थे
जाने है सारी नगरिया...
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