बहोत दुखा मन - Bohot Dukha Mann (Rachita Arora, Dev Arijit, Mukkabaaz)

Movie/Album: मुक्काबाज़ (2018)
Music By: रचिता अरोड़ा
Lyrics By: हुसैन हैदरी
Performed By: रचिता अरोड़ा, देव अरिजीत

साँझ का घोर अंधेरा मोहे
रात की याद दिलावे
रात जो सिर पर आवे लागे
लाग बरस कट जावे
आस का दर्पन कजलाया रे
लागी मोहे झूठा
बहोत दुखा रे
बहोत दुखा मन
हाथ तोरा जब छूटा
साँझ का घोर अंधेरा...

चिट्ठी जाए ना ऊ देस
जो देस गए मोरे सजना
हवा के पर में बाँध के भेजे
हम संदेस का गहना
बिरहा ने पतझर बन के
पत्ता पत्ता लूटा
बहोत दुखा रे...

धूप पड़े जो बदन पे मोरे
अगन सी ताप लगावे
छाँह में थम के पानी पीये तो
पानी में ज़हर मिलावे
धूप पड़े जो बदन पे...
तन की पीड़ तो मिट गई
मोरे मन का बैर ना टूटा
बहोत दुखा रे...

मोरे हाँथ में तोरी हाथ की
छुअन पड़ी थी बिखरी
बहोत दुखा रे...
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