Movie/Album: स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 (2019)
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: अन्विता दत्त गुप्तन
Performed By: सनम पुरी, नीति मोहन
बेसर पैर की बातें कर रहा हूँ
घर होकर भी बेघर फिर रहा हूँ
तारे गिन-गिन दिन को रात
रात को दिन कर रही हूँ
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा
मिलेया जे माही मेरा मैनू मिलेया
शुकर मनावां तकदीरा दा
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा...
बैठे बैठे मैं ये सोचूँ
तू संग बैठा हो तो
मिल के बातें होंगी दो-दो
उम्र यूँ ही काटें हम दो
सुबह सुबह मैं फिर जागूँ
पास में सोयी हो तू
कानों में गा कर कुछ तो
मैं रोज़ जगा दूँ तुझको
सपने बुन-बुन धुन को राग
राग को धुन कर रही हूँ
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा...
तेरी गलियाँ ऐसे नापूँ
और पुकारूँ तुझको
कहे लोग आवारा मुझको
बदनाम हुआ हूँ अब तो
तेरे दर पे रोज़ ही आ के
दूँगी दस्तक सुन तो
चाहे ना भी करोगे तुम तो
उम्मीद रहेगी मुझको
जाने कैसे शह से मात
मात शह से हो रहा हूँ
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा...
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: अन्विता दत्त गुप्तन
Performed By: सनम पुरी, नीति मोहन
बेसर पैर की बातें कर रहा हूँ
घर होकर भी बेघर फिर रहा हूँ
तारे गिन-गिन दिन को रात
रात को दिन कर रही हूँ
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा
मिलेया जे माही मेरा मैनू मिलेया
शुकर मनावां तकदीरा दा
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा...
बैठे बैठे मैं ये सोचूँ
तू संग बैठा हो तो
मिल के बातें होंगी दो-दो
उम्र यूँ ही काटें हम दो
सुबह सुबह मैं फिर जागूँ
पास में सोयी हो तू
कानों में गा कर कुछ तो
मैं रोज़ जगा दूँ तुझको
सपने बुन-बुन धुन को राग
राग को धुन कर रही हूँ
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा...
तेरी गलियाँ ऐसे नापूँ
और पुकारूँ तुझको
कहे लोग आवारा मुझको
बदनाम हुआ हूँ अब तो
तेरे दर पे रोज़ ही आ के
दूँगी दस्तक सुन तो
चाहे ना भी करोगे तुम तो
उम्मीद रहेगी मुझको
जाने कैसे शह से मात
मात शह से हो रहा हूँ
तू पुछ नईयो हाल फ़कीरा दा...
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