Movie/Album: मैजिकल मोमेन्ट्स (2014)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: अनवर मिर्ज़ापुरी
Performed By: जगजीत सिंह
रुख़ से परदा उठा दे ज़रा साक़िया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा
है जो बेहोश वो होश में आएगा
गिरने वाला है जो, वो संभल जाएगा
रुख़ से परदा...
तुम तसल्ली ना दो, सिर्फ़ बैठे रहो
वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जाएगा
क्या ये कम है, मसीहा के रहने ही से
मौत का भी इरादा बदल जाएगा
रुख़ से परदा...
तीर की जाँ है दिल, दिल की जाँ तीर है
तीर को ना यूँ खींचो, कहा मान लो
तीर खींचा तो दिल भी निकल आएगा
दिल जो निकला तो दम भी निकल जाएगा
रुख़ से परदा...
इसके हँसने में रोने का अन्दाज़ है
ख़ाक उड़ाने में फ़रियाद का राज़ है
इसको छेड़ो ना 'अनवर' ख़ुदा के लिए
वरना बीमार का दम निकल जाएगा
रुख़ से परदा...
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: अनवर मिर्ज़ापुरी
Performed By: जगजीत सिंह
रुख़ से परदा उठा दे ज़रा साक़िया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा
है जो बेहोश वो होश में आएगा
गिरने वाला है जो, वो संभल जाएगा
रुख़ से परदा...
तुम तसल्ली ना दो, सिर्फ़ बैठे रहो
वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जाएगा
क्या ये कम है, मसीहा के रहने ही से
मौत का भी इरादा बदल जाएगा
रुख़ से परदा...
तीर की जाँ है दिल, दिल की जाँ तीर है
तीर को ना यूँ खींचो, कहा मान लो
तीर खींचा तो दिल भी निकल आएगा
दिल जो निकला तो दम भी निकल जाएगा
रुख़ से परदा...
इसके हँसने में रोने का अन्दाज़ है
ख़ाक उड़ाने में फ़रियाद का राज़ है
इसको छेड़ो ना 'अनवर' ख़ुदा के लिए
वरना बीमार का दम निकल जाएगा
रुख़ से परदा...
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...