Music By: हिमेश रेशमिया
Lyrics By: शब्बीर अहमद
Performed By: हिमेश रेशमिया, पायल देव, समीर खान, रानू मंडल
कह रही है नज़दीकियाँ
फ़ासले अब भी हैं दरमियाँ
फ़ासले अब भी हैं दरमियाँ
फ़ासले अब भी हैं दरमियाँ
कह रही है नज़दीकियाँ
फ़ासले अब भी हैं दरमियाँ
फ़ासले अब भी हैं दरमियाँ...
पेचीदा पेचीदा
दिल की ये गलियाँ
पेचीदा पेचीदा
दिल की ये गलियाँ
कह रही है नज़दीकियाँ...
पेचीदा पेचीदा...
क्या चीज़ मोहब्बत है कोई जाने ना
है इस उलझन में सारा ये जग
कोई ना समझा है न समझेगा
कायदा इस दिल की दुनिया का अलग
आफत में साँसें, आफ़त में धड़कन
आफ़त में दिल की सरजमीं
जो भी चढ़ेगा ये इश्क पर्बत
बर्बाद होना लाज़मी
पेचीदा पेचीदा...
क्यूँ चाँद सितारों में है वाबस्ता
हर एक प्रेम कहानी का फ़लसफ़ा
आसाँ नहीं क्यूँ इतनी ये आशिकी
क्यूँ इतनी मुश्किल निभानी वफ़ा
डर है आँखों में, फिर भी क्यूँ जाने
बेबाक है दिल बेवजह
साफ़ होकर भी तस्वीर धुंधली
आए नज़र क्यूँ हर जगह
पेचीदा पेचीदा...
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