Music By: रोहित शर्मा
Lyrics By: दीपेश सुमित्र जगदीश
Performed By: रोहित शर्मा
खाली-खाली हाथों बाँधे
ठोकर खाकर बैरागी
ढूँढ पाया ना ख़ुदा
रह पाया ना जुदा
ना कुछ भी तूने पाया
तेरा ये कैसा अनूठा ढंग ख़ुदा
क्यूँ काटी तूने ख़्वाबों की मेरे पतंग ख़ुदा
तेरा ये कैसा सा मोहभंग ख़ुदा
अभी था राज़ी मैं, अभी दंग ख़ुदा
झूठी हैं बातें, ये ख़्वाब जगा के
सताए, रुलाए हमेशा
जैसे कोई बाती, हो बुझ गई साथी
मिटाए, हराए हमेशा यूँ ही
सब बिखरा जाए
भारी-भारी, अँखियाँ बूँदें
हारी सी ढूँढें दरिया जी
मिल जाएगा अगर
मुँह छुपा लूँ मैं उधर
तोड़ सबसे ही मैं नाता
ओ तेरा ये कैसा अनूठा ढंग ख़ुदा...
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