Music By: बी प्राक
Lyrics By: जानी
Performed By: बी प्राक, सुनंदा शर्मा, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
ये सूरज से भी कह दो
के अपनी आग बुझा के करे
ये सूरज से भी कह दो
के अपनी आग बुझा के करे
अगर उससे बातें करनी है
तो फिर नज़र झुका के करे
तो फिर नज़र झुका के करे
(नज़र झुका के करे)
तारे उसके हाथ में होने ही चाहिए
जुगनू उसके साथ में सोने ही चाहिए
ओ खुशबुओं से उसकी सिफारिश की जाए
ओ खुशबुओं से उसकी सिफारिश की जाए
(सिफारिश की जाए)
ऐ ख़ुदा तू बोल दे तेरे बादलों को
ऐ ख़ुदा तू बोल दे तेरे बादलों को
मेरा यार हँस रहा है बारिश की जाए
यार हँस रहा है बारिश की जाए
ये सूरज से भी कह दो
के अपनी आग बुझा के करे
अगर उससे बातें हैं करनी
तो नज़रें झुका के करे
हो ये सूरज से भी कह दो
अपनी आग बुझा के करे
गर उससे बातें करनी है
तो नज़रें झुका के करे
मोहब्बत जानी की पूरी ख्वाहिश की जाए
मोहब्बत जानी की पूरी ख्वाहिश की जाए
ऐ ख़ुदा तू बोल दे...
हाय आशिक हो जाने में
कितना वक्त लगता है
रब के घर में आने में
कितना वक्त लगता है
देखा उसे तो ये मालूम हुआ
के जन्नत को पाने में
कितना वक्त लगता है
ये ज़माना जाने ना क्या करा सकती है
ओ यार मेरे की नज़रें हैं
दरिया डुबा सकती हैं
उसका बस चले तो सारा दरिया पी जाए
उसका बस चले तो सारा दरिया पी जाए
ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा
ऐ ख़ुदा तू बोल दे...
ना दुनिया के लिए लिखते
ना मेरे लिए लिखते
ना दुनिया के लिए लिखते
ना मेरे लिए लिखते
ग़ालिब ज़िंदा होते तो तेरे लिए लिखते
ग़ालिब ज़िंदा होते तो तेरे लिए लिखते
तेरे लिए लिखते
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