Music By: बी प्राक
Lyrics By: जानी
Performed By: बी प्राक
मैं गैरों की बाहों में, देखा है सो के
सच बताएँ मज़ा आ गया
तू तू है मेरी जाँ, कोई तुझसा कहीं ना
थी उनकी जो खुश्बू समझ आ गया
मैं गैरों की बाहों में...
भटक गये थे, हम एक शाम को
किया है खराब, खराब तेरे नाम को
क्यूँ दिल तेरा तोड़ा, ये पूछने कल तो
सपने में मेरे खुदा आ गया
मैं गैरों की बाहों में...
दरिया ये दरिया, दरिया न होता
न होता जो इसका किनारा
अक्ल ठिकाने आई हमारी
तुमसे बिछड़ कर ओ यारा
रात को निकला था, तेरी गली से
ठोकर मैं खा के सुबह आ गया
मैं गैरों की बाहों में...
ये आखिरी ग़लती थी आखिरी मौका
दे दे दे ना मुझको तू साकी
अब तेरे पैरों में काटेंगे यारा
जितनी भी ज़िंदगी है बाकी
हो जानी के अंदर जो जानी आवारा था
जानी वो खुद ही जला आ गया
मैं गैरों की बाहों में...
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