Music By: सचेत-परंपरा
Lyrics By: सईद क़ादरी
Performed By: गुरु रंधावा, नेहा कक्कड़
अभी तुम्हें और हमें, और प्यार करना है
अभी तुम्हें और हमें, बेशुमार करना है
जब तलक़ जहां से बिछड़ना है
अभी तुम्हें और हमें...
अभी हमें मुद्दतों दिलों की बात करनी है
अभी बहुत सी बारिशें साथ गुज़रनी हैं
हो कभी भी कोई अश्क जो तेरी
आँख भिगाना चाहेगा
तुझसे पहले इन आँखों में
आके वो रुक जाएगा
आके वो रुक जाएगा
अभी तुम्हें और हमें, ये इकरार करना है
अभी तुम्हें और हमें, और प्यार करना है
कई ख्वाहिशों को पूरा करना है
कई धूप-छाँव से गुज़रना है
ख़ुशगवार ख्वाबों को
इन हसीं पलकों में उतरना है
हम तेरे ही संग चलेंगे हर कदम
जब तलक़ के साँसों का चलना है
अभी तुम्हें और हमें, और प्यार करना है
अभी तुम्हें और हमें, और प्यार करना है
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