Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: वरुण ग्रोवर
Performed By: शाहिद माल्या, सिरीषा भागवतुला, स्वानंद किरकिरे
बिखरने का मुझको, शौक़ है बड़ा
समेटेगा मुझको, तू बता ज़रा
बिखरने का मुझको...
हो डूबती है तुझमें, आज मेरी कश्ती
गुफ्तगू में उतरी बात की तरह
हो, देख के तुझे ही रात की हवा ने
साँस थाम ली है, हाथ की तरह, हाय
कि आँखों में तेरी रात की नदी
ये बाज़ी तो हारी है सौ फ़ीसदी
बिखरने का मुझको...
हो उठ गए कदम तो, आँख झुक रही है
जैसे कोई गहरी बात हो यहाँ
हो खो रहे हैं दोनों, एक दूसरे में
जैसे सर्दियों की शाम में धुआँ, हाय
ये पानी भी तेरा आइना हुआ
सितारों में तुझको है गिना हुआ
बिखरने का मुझको...
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