Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: जगजीत सिंह
शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
और उसके परे कुछ परिंदे कतारें बनाए
उन्हीं जंगलों को चले
जिनके पेड़ों की शाखों पे हैं घोंसले
ये परिंदे वहीं लौटकर जाएँगे
और सो जाएँगे
शाम होने को है...
शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
हम ही हैरान हैं
इस मकानों के जंगल में
अपना कोई भी ठिकाना नहीं
शाम होने को है हम कहाँ जायेंगे
शाम होने को है...
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