Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: लता मंगेशकर
तड़प ये दिन-रात की
कसक ये बिन बात की
भला ये रोग है कैसा
सजन अब तो बता दे
अब तो बता दे, बता दे
तड़प ये दिन रात की...
बिना कारण उदासी क्यूँ
अचानक घिर के आती है
थका जाती है क्यूँ मुझको
बदन क्यों तोड़ जाती है
तड़प ये दिन रात की...
हैं आखिर कौन से बंधन
जो मुझसे खुल नहीं पाते
ये बादल बेबसी के क्यूँ
बरस कर धुल नहीं जाते
तड़प ये दिन रात की...
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