Lyrics By: तस्लीम फ़ज़ली
Performed By: मेहदी हसन
रफ्ता रफ्ता वो मेरे हस्ती का सामां हो गये
पहले जां, फिर जानेजां, फिर जानेजाना हो गये
दिन-ब-दिन बढती गईं इस हुस्न की रानाइयां
पहले गुल, फिर गुल-बदन, फिर गुल-बदामां हो गए
रफ्ता रफ्ता वो मेरे...
आप तो नज़दीक से नज़दीक-तर आते गए
पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के मेहमां हो गए
रफ्ता रफ्ता वो मेरे...
प्यार जब हद से बढ़ा सारे तकल्लुफ मिट गए
आप से, फिर तुम हुए, फिर तू का उनवाँ हो गए
रफ्ता रफ्ता वो मेरे...
Performed By: मेहदी हसन
रफ्ता रफ्ता वो मेरे हस्ती का सामां हो गये
पहले जां, फिर जानेजां, फिर जानेजाना हो गये
दिन-ब-दिन बढती गईं इस हुस्न की रानाइयां
पहले गुल, फिर गुल-बदन, फिर गुल-बदामां हो गए
रफ्ता रफ्ता वो मेरे...
आप तो नज़दीक से नज़दीक-तर आते गए
पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के मेहमां हो गए
रफ्ता रफ्ता वो मेरे...
प्यार जब हद से बढ़ा सारे तकल्लुफ मिट गए
आप से, फिर तुम हुए, फिर तू का उनवाँ हो गए
रफ्ता रफ्ता वो मेरे...
achcha prayas hai ji kripya jaari rakhen.
ReplyDeleteBahoot Khoob
ReplyDeleteReally
Deletegood
ReplyDeleteAap se phir tum hue phir tu ka unwaañ ho gaye...
ReplyDeleteUnwaañ- Title
This song has fathomless depth....
ReplyDeleteMehendisab ap ghazal ka badsah ho....
Anyone can tell the raag of this gazal
ReplyDeleteBhimpalasi
DeleteBhimpalasi
DeleteGood Work......
ReplyDeleteCan anyone tell the beat of this ghazal?
ReplyDeleteMehadi saab ki gazal ko sunna matlab Kaan dhanya hogaye🥰🥰🙏🙏
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteI love this ghazal
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