Movie/Album: बॉबी (1973)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: शैलेन्द्र सिंह
मैं शायर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको शायरी आ गयी
मैं आशिक तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको आशिकी आ गई
प्यार का नाम मैंने सुना था मगर
प्यार क्या है, ये मुझको नहीं थी खबर
मैं तो उलझा रहा उलझनों की तरह
दोस्तों में रहा दुश्मनों की तरह
मैं दुश्मन तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको दोस्ती आ गई
मैं शायर तो नहीं...
सोचता हूँ अगर मैं दुआ मांगता
हाथ अपने उठाकर मैं क्या मांगता
जब से तुझसे मोहब्बत मैं करने लगा
तब से जैसे इबादत मैं करने लगा
मैं काफिर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको बंदगी आ गयी
मैं शायर तो नहीं...
अतिरिक्त
प्यासी-प्यासी निगाहों से जीते हुए
मैंने लोगों को देखा है पीते हुए
जब भी सावन में बादल बरसने लगा
और भी कुछ मेरा मन तरसने लगा
मैं मयकश तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा, मैंने तुझको
मुझको मयकशी आ गई
मैं शायर तो नहीं...
क्या हुआ उठ के महफ़िल से जाने लगी
हो के मग़रूर आँखें चुराने लगी
तेरे दिल से ज़रा दिल्लगी मैं करूँ
थोड़ी सी अपनी तारीफ भी मैं करूँ
तू दिलबर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा, तूने मुझको
तुझको दिलबरी आ गई
मैं शायर तो नहीं...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: शैलेन्द्र सिंह
मैं शायर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको शायरी आ गयी
मैं आशिक तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको आशिकी आ गई
प्यार का नाम मैंने सुना था मगर
प्यार क्या है, ये मुझको नहीं थी खबर
मैं तो उलझा रहा उलझनों की तरह
दोस्तों में रहा दुश्मनों की तरह
मैं दुश्मन तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको दोस्ती आ गई
मैं शायर तो नहीं...
सोचता हूँ अगर मैं दुआ मांगता
हाथ अपने उठाकर मैं क्या मांगता
जब से तुझसे मोहब्बत मैं करने लगा
तब से जैसे इबादत मैं करने लगा
मैं काफिर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको बंदगी आ गयी
मैं शायर तो नहीं...
अतिरिक्त
प्यासी-प्यासी निगाहों से जीते हुए
मैंने लोगों को देखा है पीते हुए
जब भी सावन में बादल बरसने लगा
और भी कुछ मेरा मन तरसने लगा
मैं मयकश तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा, मैंने तुझको
मुझको मयकशी आ गई
मैं शायर तो नहीं...
क्या हुआ उठ के महफ़िल से जाने लगी
हो के मग़रूर आँखें चुराने लगी
तेरे दिल से ज़रा दिल्लगी मैं करूँ
थोड़ी सी अपनी तारीफ भी मैं करूँ
तू दिलबर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा, तूने मुझको
तुझको दिलबरी आ गई
मैं शायर तो नहीं...
This song have more stanza in original song by Anand bakshi.anyone know?
ReplyDeleteअब दो नए अंतरे जोड़ दिए हैं🙏
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