Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: किशोर कुमार
रात कली एक ख्वाब में आई
और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे
आँख उन्हीं से चार हुई
रात कली एक ख्वाब में आई...
चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत
चाहे हँसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे, मुझको खबर नहीं
हो सके तुम्हीं बता दो
तुमने कदम तो रखा ज़मीं पर
सीने में क्यों झनकार हुई
रात कली एक ख्वाब..
आँखों में काजल और लटों में
काली घटा का बसेरा
साँवली सूरत मोहनी मूरत
सावन रुत का सवेरा
जबसे ये मुखड़ा दिल में खिला है
दुनिया मेरी गुलज़ार हुई
रात कली एक ख्वाब...
यूँ तो हसीनों के माहाजबीनों के
होते हैं रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के, देखा है जब तुम्हें
तुम लगे और भी प्यारे
बाहों में ले लूँ, ऐसी तमन्ना
एक नहीं कई बार हुई
रात कली एक ख्वाब...
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ReplyDeleteI agree..this is a great service to music lovers..
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