ये हौंसला कैसे झुके - Ye Haunsla Kaise Jhuke (Shafqat Amanat Ali Khan, Dor)

Movie/Album: डोर (2006)
Music By: सलीम-सुलेमान
Lyrics By: मीर अली हुसैन
Performed By: शफ़क़त अमानत अली खान

ये हौंसला कैसे झुके
ये आरज़ू कैसे रुके
मंज़िल मुश्किल तो क्या
धुंधला साहिल तो क्या
तन्हाँ ये दिल तो क्या

राह पे काँटे बिखरे अगर
उसपे तो फिर भी चलना ही है
शाम छुपा ले सूरज मगर
रात को एक दिन ढलना ही है
रुत ये टल जाएगी
हिम्मत रंग लाएगी
सुबह फिर आएगी

होगी हमें जो रहमत अदा
धूप कटेगी साये तले
अपनी खुदा से है ये दुआ
मंज़िल लगा ले हमको गले
जुर्रत सौ बार रहे
ऊँचा इकरार रहे
ज़िन्दा हर प्यार रहे

रिश्ते भरोसे चाहत यकीं
उन सबका दामन अब चाक है
समझे थे हाथों में है ज़मीं
मुट्ठी जो खोली, बस ख़ाक है
दिल में ये शोर है क्यूँ
ईमाँ कमज़ोर है क्यूँ
नाज़ुक ये डोर है क्यूँ

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