Music By: जयदेव
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: भूपिंदर सिंह
एक अकेला इस शहर में
रात में और दोपहर में
आब-ओ-दाना ढूँढता है
आशियाना ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में...
दिन खाली-खाली बर्तन है
और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अँधेरी आँखों में
आँसू की जगह आता हैं धुआँ
जीने की वजह तो कोई नहीं
मरने का बहाना ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में...
इन उम्र से लम्बी सड़कों को
मंज़िल पे पहुँचते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं
हमने तो ठहरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में
जाना पहचाना ढूँढता है
एक अकेला इस शहर में...
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