Movie/Album: पड़ोसन (1968)
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: राजिंदर कृषण
Performed By: किशोर कुमार
मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चांद का टुकड़ा रहता है
अफ़सोस ये है के वो हमसे
कुछ उखड़ा-उखड़ा रहता है
जिस रोज़ से देखा है उसको
हम शमां जलाना भूल गए
दिल थाम के ऐसे बैठे हैं
कहीं आना-जाना भूल गए
अब आठ पहर इन आँखों में
वो चंचल मुखड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की...
बरसात भी आकर चली गई
बादल भी गरज कर बरस गए
पर उसकी एक झलक को हम
ऐ हुस्न के मालिक तरस गए
कब प्यास बुझेगी आँखों की
दिन रात ये दुखड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की...
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: राजिंदर कृषण
Performed By: किशोर कुमार
मेरे सामने वाली खिड़की में
एक चांद का टुकड़ा रहता है
अफ़सोस ये है के वो हमसे
कुछ उखड़ा-उखड़ा रहता है
जिस रोज़ से देखा है उसको
हम शमां जलाना भूल गए
दिल थाम के ऐसे बैठे हैं
कहीं आना-जाना भूल गए
अब आठ पहर इन आँखों में
वो चंचल मुखड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की...
बरसात भी आकर चली गई
बादल भी गरज कर बरस गए
पर उसकी एक झलक को हम
ऐ हुस्न के मालिक तरस गए
कब प्यास बुझेगी आँखों की
दिन रात ये दुखड़ा रहता है
मेरे सामने वाली खिड़की...
बेहद खूबसूरत नग्मा , वाह क्या शब्द क्या लय, बेमिसाल
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