Movie/Album: रोटी कपड़ा और मकान (1974)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: संतोष आनंद
Performed By: मुकेश, लता मंगेशकर
मैं ना भूलूँगा, मैं ना भूलूँगी
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को
मैं ना भूलूंगा...
चलो जग को भूले, ख़यालों में झूले
बहारों में डोले, सितारों को छू ले
आ तेरी मैं माँग सवारूँ , तू दुल्हन बन जा
माँग से जो दुल्हन का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
समय की धारा में, उमर बह जानी है
जो घड़ी जी लेंगे, वही रह जानी है
मैं बन जाऊँ साँस आखिरी, तू जीवन बन जा
जीवन से साँसों का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
बरसता सावन हो, महकता आँगन हो
कभी दिल दूल्हा हो, कभी दिल दुल्हन हो
गगन बन कर झूमें, पवन बन कर घूमे
चलो राहे मोड़ें, कभी ना संग छोड़ें
कहीं पे छुप जाना हैं, नज़र नहीं आना हैं
कहीं पे बस जायेंगे, ये दिन कट जायेंगे
अरे क्या बात चली, वो देखो रात ढली
ये बातें चलती रहें, ये रातें ढलती रहें
मैं मन को मंदिर कर डालू, तू पूजन बन जा
मंदिर से पूजा का रिश्ता मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: संतोष आनंद
Performed By: मुकेश, लता मंगेशकर
मैं ना भूलूँगा, मैं ना भूलूँगी
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को
मैं ना भूलूंगा...
चलो जग को भूले, ख़यालों में झूले
बहारों में डोले, सितारों को छू ले
आ तेरी मैं माँग सवारूँ , तू दुल्हन बन जा
माँग से जो दुल्हन का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
समय की धारा में, उमर बह जानी है
जो घड़ी जी लेंगे, वही रह जानी है
मैं बन जाऊँ साँस आखिरी, तू जीवन बन जा
जीवन से साँसों का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
बरसता सावन हो, महकता आँगन हो
कभी दिल दूल्हा हो, कभी दिल दुल्हन हो
गगन बन कर झूमें, पवन बन कर घूमे
चलो राहे मोड़ें, कभी ना संग छोड़ें
कहीं पे छुप जाना हैं, नज़र नहीं आना हैं
कहीं पे बस जायेंगे, ये दिन कट जायेंगे
अरे क्या बात चली, वो देखो रात ढली
ये बातें चलती रहें, ये रातें ढलती रहें
मैं मन को मंदिर कर डालू, तू पूजन बन जा
मंदिर से पूजा का रिश्ता मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
मैं बन जाऊँ साँस आखिरी, तू जीवन बन जा
ReplyDeleteजीवन से साँसों का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
मैं ना भूलूँगा...
बहुत सुन्दर रचना! संतोष आनंद-LP-मुकेश जी व आदरणीय लता जी!!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद!