Movie/Album: क्वीन (2014)
Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: अन्विता दत्त गुप्तन
Performed By: मोहन कन्नन
ढूंढे हर इक सांस में, डुबकियों के बाद में
हर भंवर के पास
किनारे
बह रहे जो साथ में, जो हमारे खास थे
कर गये अपनी बात
किनारे
गर माझी सारे साथ में
गैर हो भी जायें
तो खुद ही तो पतवार बन
पार होंगे हम
जो छोटी सी हर इक नहर
सागर बन भी जाये
कोई तिनका लेके हाथ में
ढूंढ लेंगे हम किनारे
किनारे, किनारे...
खुद ही तो हैं हम, किनारे
कैसे होंगे कम, किनारे
हैं जहाँ हैं हम, किनारे
खुद ही तो हैं हम
हाँ, खुद ही तो हैं हम
औरों से क्या, खुद ही से पूछ लेंगे राहें
यहीं कहीं, मौज़ों में ही, ढूंढ लेंगे हम
बूँदों से ही तो है वहीं, बांध लेंगे लहरें
पैरों तले जो भी मिले, बाँध लेंगे हम
किनारे, किनारे, किनारे...
Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: अन्विता दत्त गुप्तन
Performed By: मोहन कन्नन
ढूंढे हर इक सांस में, डुबकियों के बाद में
हर भंवर के पास
किनारे
बह रहे जो साथ में, जो हमारे खास थे
कर गये अपनी बात
किनारे
गर माझी सारे साथ में
गैर हो भी जायें
तो खुद ही तो पतवार बन
पार होंगे हम
जो छोटी सी हर इक नहर
सागर बन भी जाये
कोई तिनका लेके हाथ में
ढूंढ लेंगे हम किनारे
किनारे, किनारे...
खुद ही तो हैं हम, किनारे
कैसे होंगे कम, किनारे
हैं जहाँ हैं हम, किनारे
खुद ही तो हैं हम
हाँ, खुद ही तो हैं हम
औरों से क्या, खुद ही से पूछ लेंगे राहें
यहीं कहीं, मौज़ों में ही, ढूंढ लेंगे हम
बूँदों से ही तो है वहीं, बांध लेंगे लहरें
पैरों तले जो भी मिले, बाँध लेंगे हम
किनारे, किनारे, किनारे...
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