Movie/Album: धूल का फूल (1959)
Music By: एन.दत्ता
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी
तू हिन्दु बनेगा, न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा
अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है
तुझको किसी मज़हब से कोई काम नहीं है
जिस इल्म ने इंसान को तक़सीम किया है
उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है
तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया
हमने उसे हिन्दू या मुसलमान बनाया
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती
हमने कहीं भारत, कहीं इरान बनाया
जो तोड़ दे हर बंध, वो तूफ़ान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सां को जो रौंदे, वो कदम तेरा नहीं है
कुरआन न हो जिसमें वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमें वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
ये दीन के ताजर, ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले
ये महलों में बैठे हुए कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह-ए-चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
Music By: एन.दत्ता
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी
तू हिन्दु बनेगा, न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा
अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है
तुझको किसी मज़हब से कोई काम नहीं है
जिस इल्म ने इंसान को तक़सीम किया है
उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है
तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया
हमने उसे हिन्दू या मुसलमान बनाया
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती
हमने कहीं भारत, कहीं इरान बनाया
जो तोड़ दे हर बंध, वो तूफ़ान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सां को जो रौंदे, वो कदम तेरा नहीं है
कुरआन न हो जिसमें वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमें वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
ये दीन के ताजर, ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले
ये महलों में बैठे हुए कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह-ए-चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा
इन्सान की औलाद है...
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