Movie/Album: तेज़ाब (1988)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: अल्का यागनिक, नितिन मुकेश, शब्बीर कुमार
सो गया ये जहां, सो गया आसमां
सो गईं हैं सारी मंज़िलें, सो गया है रस्ता
सो गया ये जहां...
रात आई तो वो जिनके घर थे
वो घर को गए सो गए
रात आई तो हम जैसे आवारा
फिर निकले राहों में और खो गए
इस गली, उस गली, इस नगर, उस नगर
जाएँ भी तो कहाँ जाना चाहें अगर
सो गई हैं सारी मंज़िलें...
कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो
हो पास तो ऐसे, चुप ना रहो
हम पास भी हैं, और दूर भी हैं
आज़ाद भी हैं, मजबूर भी हैं
क्यूँ प्यार का मौसम बीत गया
क्यूँ हमसे ज़माना जीत गया
हर घड़ी मेरा दिल ग़म के घेरे में है
ज़िन्दगी दूर तक अब अँधेरे में है
सो गयी हैं सारी मंज़िलें...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: अल्का यागनिक, नितिन मुकेश, शब्बीर कुमार
सो गया ये जहां, सो गया आसमां
सो गईं हैं सारी मंज़िलें, सो गया है रस्ता
सो गया ये जहां...
रात आई तो वो जिनके घर थे
वो घर को गए सो गए
रात आई तो हम जैसे आवारा
फिर निकले राहों में और खो गए
इस गली, उस गली, इस नगर, उस नगर
जाएँ भी तो कहाँ जाना चाहें अगर
सो गई हैं सारी मंज़िलें...
कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो
हो पास तो ऐसे, चुप ना रहो
हम पास भी हैं, और दूर भी हैं
आज़ाद भी हैं, मजबूर भी हैं
क्यूँ प्यार का मौसम बीत गया
क्यूँ हमसे ज़माना जीत गया
हर घड़ी मेरा दिल ग़म के घेरे में है
ज़िन्दगी दूर तक अब अँधेरे में है
सो गयी हैं सारी मंज़िलें...
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