Movie/Album: हकीकत (1964)
Lyrics By: मदन मोहन
Music By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: लता मंगेशकर
खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना
खेलो ना मेरे दिल से...
मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे
ग़म है किस लिये निगाह में
मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे
मुझको छोड़ दोगे राह में
प्यार क्या दिल्लगी
प्यार क्या खेल है
खेलो ना मेरे दिल से...
क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से
हँस के दिल मेरा लिया था क्यूँ
क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर
मुझको आसरा दिया था क्यूँ
प्यार क्या दिल्लगी...
Lyrics By: मदन मोहन
Music By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: लता मंगेशकर
खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना
खेलो ना मेरे दिल से...
मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे
ग़म है किस लिये निगाह में
मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे
मुझको छोड़ दोगे राह में
प्यार क्या दिल्लगी
प्यार क्या खेल है
खेलो ना मेरे दिल से...
क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से
हँस के दिल मेरा लिया था क्यूँ
क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर
मुझको आसरा दिया था क्यूँ
प्यार क्या दिल्लगी...
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