Movie/Album: सिलसिले (1998)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: जगजीत सिंह
मैं भूल जाऊँ तुम्हें
अब यही मुनासिब है
मगर भुलाना भी चाहूँ
तो किस तरह भूलूँ
कि तुम तो फ़िर भी हकीकत हो
कोई ख्वाब नहीं
यहाँ तो दिल का ये आलम है क्या कहूँ, कमबख़्त
भुला सका ना ये वो सिलसिला, जो था भी नहीं
वो इक ख्याल जो आवाज़ तक गया ही नहीं
वो एक बात जो मैं कह नहीं सका तुमसे
वो एक रब्त जो हममें कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ...
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: जगजीत सिंह
मैं भूल जाऊँ तुम्हें
अब यही मुनासिब है
मगर भुलाना भी चाहूँ
तो किस तरह भूलूँ
कि तुम तो फ़िर भी हकीकत हो
कोई ख्वाब नहीं
यहाँ तो दिल का ये आलम है क्या कहूँ, कमबख़्त
भुला सका ना ये वो सिलसिला, जो था भी नहीं
वो इक ख्याल जो आवाज़ तक गया ही नहीं
वो एक बात जो मैं कह नहीं सका तुमसे
वो एक रब्त जो हममें कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ...
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...